Sunday, 20 November 2011

Speak Asia Meeting will be Fixed on 28 November 2011 - 21 November 2011

Metting

Meeting is Fixed on 28th November because Mr. Lohati ji is not available in delhi he is going out for some other case… So why are you all creating a panic dear… Maintain Patience This 28th was prefixed by Mr. Lohati and 21st was given by supreme court without knowledge of Mr. Lohati…
So leave your all tensions and make a wish for 28th Novemeber.. ‎28th November 04.00 PM is Fixed date dont wory :)

स्पीक एशिया की भुगतान प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एवं स्पीक एशिया प्रबंधन व सरकारी ऐजेन्सियों

के बीच मध्यस्थता के लिए जस्टिस आरसी लाहौटी की अध्यक्षता में गठित की गई समिति की बैठक 28 

नवम्बर तक के लिए टल गई है। 

सनद रहे कि यह मीटिंग 21 नवम्बर को सुनिश्चित थी एवं उम्मीद की जा रही थी कि इस मीटिंग में 


पेनलिस्ट को भुगतान किस प्रकार दिया जाएगा, विषय पर अंतिम निर्णय हो पाएगा। इस मामले में अभी 

तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर मीटिंग की यह तारीख क्यों बढ़ाई गई।

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7 Comments:

At 20 November 2011 at 21:47 , Blogger Unknown said...

स्पेअकसिया पे कोई भरोसा कोई करे या न करे ......
कंपनी अपना काम कर रही है .....
मैं समझ सकता हूँ की ऐसे हालात में किसी का भी भरोसा टूट सकता है ......
और वो तो और परेशानी में हैं .....
जिन्हे सहारा सिर्फ स्पेअकसिया का हे था ......
एक उम्मीद की किरण दिखाई दी थी स्पेअकसिया में की अब हम भी लखपति और क्रोरेपति बन सकते हैं ......
अचानक मीडिया में एक छोटी सी न्यूज़ चिनगारी बन के निकली और धीरे धीरे आज जंगल में आग की तरह हर जगह फैल गई .....
हमारे सपने टूटने लगे ..... फिर लगा की घर भी टूट रहा है .....
और धीरे से कहीं अन्दर हे अन्दर हम भी टूटने लगे ..... फिर हालात वो आ गए की .....
एक दूजे से भरोसा उठने लगा ..... frustrations ने क्या क्या नहीं बुलवा दिया इस जुबां से .....
आरोप लगने लगे ..... शक पैदा होने लगा .....

इसी बीच स्पेअकसिया ने हर एक कोशिश की खुद को और अपने पनेलिस्ट्स को संभालने की .....
कानूनी लड़ाई लड़ी जाने लगी ..... यहाँ से फिर शुरू हुआ उमीदों का दौर की अब और अब आई ....
हम यह भूल गए की यह कानून है ..... जो दिल नहीं देखता .... गवाह और सबूत देखता है .....
हर तरफ से स्पेअकसिया के विरुद्ध वार होने लगे .....
पनेलिस्ट्स अभी डट कर खड़े थे .....
लेकिन कुछ कम होते दिखाई देने लगे ..... जो की गलत नहीं था .....
सबकी अपनी रेपोन्सिबिलितिएस भी होती हैं .....
सोल अपना दूसरा नुकसान होते देख रही थी ....
लेकिन चाहहते के भी कुछ नहीं कर सकती थी ....
क्यूंकि कानून ने हाथ बांध रखे थे .....
सबूत अभी आ रहे हैं .....
जांच चल रही है .... चार्ज लगाना बाकी है ...... अर्रेस्ट्स हुए ..... बेल हुई ..... फिर अर्रेस्ट्स हुए ..... फिर एक बेल हुई .....
सारी दुनिया मानो स्पेअकसिया को बंद करने पे तुल गयी थी .....
सब एक दुसरे को तसली देने लगे की सब ठीक होगा ......
दिन पे दिन बीतने लगे .... कुछ अच्छा सुनने की चाहत में ....
लेकिन कोई हल नहीं नहीं ... अब तक करीब करीब 50% कुछ और कोम्पेनिएस से भी जुड़ चुके थे ....
कुछ लीडर सामने रहे .... कुछ चले गए ....
कुछ ने सबको संभाला ...... कुछ उनको अपने साथ अपने काम पे लगाने ले गए ....
मैनेजमेंट कहीं दिखाई दे रहा था ......

फिर दुनिया एक पहली बार एक अस्सोकिअतिओन बनी ...
जो आज तक किसी भी इस type की कंपनी की नहीं थी .....
ज़रा आसरा मिला .... सहारा दिखाई दिया ....
कंपनी की बातें ... पनेलिस्ट्स तक पहुँचने लगी ....
फिर कंपनी ने यह बताना बंद कर दिया की अब वो क्या करने वाली है .....
क्यूंकि जब भी बताया .... कुछ नहीं हुआ ..... हर वार उल्टा पड़ता था .......
अन्दर ही अन्दर कुछ हो रहा था ..... लेकिन हम सबसे दूर .....

लेकिन अब यकीन मुश्किल था क्यूंकि वक़्त बहुत बीत चूका था .....
मुसीबत दिमाग से निकल के सामने आ के कड़ी होने लगी ....
सब डरने लगे .... मरने मारने की बात करने लगे .... अपने हे दुश्मन बन गए .....
किसी को अब हमारी बात पे भरोसा नहीं रहा .....

लेकिन फिर भी कंपनी अपना काम करती रही .... पता है क्यूँ .....???

क्यूंकि उसके बहाने की खबर अभी तक नहीं आई .....
जबकि कई और कोम्पेनिएस भाग चुकी हैं और ...
किसी को वहां से एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली आज तक .....
सोल ने अपने आपको पहली ऐसी कंपनी साबित किया जो अपने लिए और हमारे लिए आज भी लड़ रही है .....

क्यूंकि स्पेअकसिया अभी तक भागी नहीं .... पता नहीं क्यूँ ....???

Regards
एक सचा स्पेअक एशियन

 
At 21 November 2011 at 01:01 , Blogger sandeep kumar said...

ab kuch nhi o sakta


koi na koi chutti mar jata hai .

hum aas lagate rah jate hai

fir ek new date milti hai aur fir wait


fir new date



fir wait ............


aakir kab tak aise chalega..


ek bar kah hi do .....


hum kangal ho gaye hai aur paisa nhai de sakte.


kam se kam koi bahana to nahi rahega.

i am totaly lost... ab wait nahi hota.


agar kisi ko aas hai to wo muzhe mail kare..


sandy9368@gmail.com


welcome to all

 
At 21 November 2011 at 04:58 , Blogger sandeep said...

go to hell

 
At 23 November 2011 at 01:19 , Blogger Unknown said...

Sabhi mile hue hey sirf tarikh pe tarikh milti rahegi kabhi solve nahi hogi??

 
At 28 November 2011 at 02:42 , Blogger rohit said...

mai toh naanga ho gya hu....
underwear k liye paise de do.....!!!

 
At 28 November 2011 at 10:48 , Blogger Panna said...

ab akhone me se asoon ke badle me khoon nikal raha hai, SIR.

DO SOME THING. Sir.

 
At 28 November 2011 at 21:27 , Anonymous Anonymous said...

i love speakasian

 

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